उत्तरयोगी श्रीअरविन्द




उत्तरयोगी श्रीअरविन्द


यह नाम श्रीअरविन्द को तमिल के प्रसिद्ध योगी की भविष्यवाणी के आधार पर दिया गया है। दक्षिण के प्रसिद्ध योगी नगाईजप्ता ने यह भविष्यवाणी की थी कि तीस वर्ष बाद उत्तर से एक योगी दक्षिण में आयेगा और यहां दक्षिण में पूर्ण योग का अभ्यास करेगा। उन्होंने उस योगी की पहचान कर सकने के लिये लक्षण के रूप में तीन वचन (पागलपन) कहें। वे तीनों श्रीअरविन्द के उनकी पत्नि के नाम पत्रों में पाये जाते है। वे तीन पागलपन थे 1. श्रीअरविन्द द्वारा यह लिखा कि उनकी समस्त योग्यता ईश्वर की देन है और येयोग्यता केवल राष्ट्र के लिये है। 2. ईश्वर की खोज 3. भारत को स्वतंत्र कराने का लक्ष्य।


श्रीअरविन्द बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न, न केवल वे एक महान योगी, मन्त्रद्रष्टा, ऋषि, दार्शनिक, कवि, लेखक थे बल्कि एक महान देशभक्त, स्वतन्त्रता सेनानी और क्रान्तिकारी भी थे। 

1. श्रीअरविन्द ने पहली बार पूर्ण स्वतंत्रता की मांग रखी थी। 

2. श्रीअरविन्द भारत देश को जड़ पदार्थ-मात्र खेत, मैदान, जंगल, पर्वत, नदियां नहीं समझते थे। देश को भारत माता के रूप में देखते थे। 

3. श्रीअरविन्द को अंग्रेजी हुकुमत भारत का सबसे खतरनाक व्यक्ति मानती थी। श्रीअरविन्द की सशक्त क्रांतिकारी की योजना ‘भवानी मंदिर’ में मिलती है। 

4. श्रीअरविन्द की राष्ट्रीय शिक्षण नीति समग्र व्यक्तित्व विकास, राष्ट्रीय चिंतन एवं वैश्विक विचार पर आधारित है।  

5. श्रीअरविन्द का उत्तरपाड़ा भाषण सनातन धर्म को सबसे सरल भाषा में समझने के लिये मार्गदर्शन देता है। 

6. श्रीअरविन्द का 15 अगस्त का भाषण आज भी प्रासंगिक है जिसमें श्रीअरविन्द पांच संकल्पों के बारे में बताते है 1. भारत विभाजन का विरोध 2. एशिया का उत्थान 3. संयुक्त राष्ट्र की भूमिका 4. भारत का विश्व को अध्यात्मिक देन 5. विकास क्रम की प्रक्रिया में योग की महत्वपूर्ण भूमिका जिसमें भारत की अग्रणीय भूमिका अपेक्षित होगी। 

7. श्रीअरविन्द अतिमानसिक परिवर्तन के माध्यम से दिव्य जीवन के आधार पर विकासवादी संकट के बीच मानव जाति को आशा की किरण प्रदान करते है। 

8. श्रीअरविन्द के अनुसार विकासक्रम समाप्त नहीं हुआ है, तर्क अंतिम शब्द नहीं है और तर्क करने वाला पशु ईश्वर की सर्वोच्च कृति है। पशु से मानव प्रकट हुआ है। उसी प्रकार मानव से महामानव का आविर्भाव होगा। 

9. श्रीअरविन्द के दर्शन, चिंतन एवं साहित्य से प्रेरणा लेकर संविधान सभा में विश्व में भारत की भूमिका पर चर्चा की गई थी। 


अलीपुर बम काण्ड मुकदमे की पैरवी करते हुए सी.आर. दास ने कहा ‘‘इस विवाद के शान्त हो जाने के बाद, इस संसार से इनके चले जाने के बहुत बाद, उन्हें देश भक्ति के कवि, राष्ट्रवाद के पैगम्बर तथा मानवता के प्रेमी के रूप में आदर किया जायेगा और उनकी वाणी न केवल भारत में बल्कि सुदूर सागरों तथा देशों के पार भी ध्वनित और प्रतिध्वनित होती रहेगी। इसलिए मैं कहता हूँ कि यह व्यक्ति न केवल इस न्यायालय के कानून के सामने बल्कि इतिहास के उच्च न्यायालय के सामने खड़ा है।’’


सूर्य प्रताप सिंह राजावत

सचिव, श्रीअरविन्द सोसायटी, राजस्थान

मो. 9462294899



Comments

Popular posts from this blog

भारत के मूल संविधान को नमन करते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी -

Motto of Supreme Court of India -यतो धर्मस्ततो जयः