भारत के मूल संविधान को नमन करते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी -





भारत के मूल संविधान को नमन करते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी -

भारत के मूल संविधान को सुलेख  करने का  श्रेय वसंत कृष्ण वैद्य (हिन्दी की प्रति) और प्रेम बिहारी नारायण रायजादा (अंग्रेजी की प्रति)  को जाता है। मूल संविधान को हस्तलिपिबद्ध करने पर मानदेय का प्रस्ताव पं. नेहरू ने दिया था। इस पर प्रेम बिहारी ने मानदेय लेने से इंकार तो किया पर यह शर्त रखी की मूल संविधान के सभी पृष्ठों पर उनका नाम अंकित होगा। अंतिम पेज पर उनका व उनके पिताजी का नाम लिखने की मंशा व्यक्त की] जिसे स्वीकार किया गया। भारत के मूल संविधान की उद्देशिका का कला कार्य ब्योहर राम मनोहर सिन्हा द्वारा किया गया।  दीनानाथ भार्गव ने संविधान में भारत के सम्प्रतीत का चित्र बनाया है।

संविधान में भारतीय सभ्यता का चित्रण का विचार प्रो. के.टी. शाह का था। जिसे संविधान के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने स्वीकार कर आचार्य नंदलाल बोस को भारतीय सभ्यता के चित्र बनाने की जिम्मेदारी दी। मूल संविधान में वैदिक काल के गुरूकुल का दृश्य रामायण से श्रीराम व माता सीता और लक्ष्मण के वनवास से घर वापस आने का दृश्य, श्री कृष्ण द्वारा अर्जून को कुरूक्षेत्र में दिए गए गीता का उपदेश, के दृश्यों को दर्शाया गया। इसी प्रकार गौतम बुद्ध व महावीर के जीवन, सम्राट अशोक व विक्रमादित्य के सभागार के दृश्य मूल संविधान में मिलते है। इसके अलावा अकबर, शिवाजी, गुरूगोबिन्द सिंह, टीपू सुल्तान और रानी लक्ष्मीबाई के चित्र भी मूल संविधान में है। । अंत में गांधीजी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का चित्र मिलता है। मूल संविधान में "भारतमाता" का उल्लेख नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र के वर्णन में मिलता है।इन चित्रों को देखने पर महाभारत के आदिपर्व में अंकित सन्देश का स्मरण आता है  कि   ज्ञान को परिपूर्ण करने के लिए    इतिहास और पुराण-प्रतीक  की जानकारी  अनिवार्य है ।

संविधान सभा के सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की हिन्दी व अंग्रेजी की प्रतियों पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कलाकारों ने चित्र अंकित किए थे। संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर आठवीं अनुसूची के बाद 10 पेजों में फैले हुए है। 

देहरादून स्थित भारतीय सर्वेक्षण विभाग कार्यालय द्वारा फोटोलिथोग्राफी का कार्य पूरा किया गया।  मूल संविधान भारत के संसद के पुस्तकालय में एक पेटी के अन्दर सुरक्षित रखा गया है जो कि विशेष नाइट्रोजन गैस से भरा हुआ है।

सूर्य प्रताप सिंह राजावत

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