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Showing posts from December, 2021

श्री कलराज मिश्र जी माननीय राज्यपाल, राजस्थान का उद्बोधन

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 श्री कलराज मिश्र जी माननीय राज्यपाल, राजस्थान का उद्बोधन श्रीअरविन्द सोसायटी द्वारा आयोजित  ‘संविधान में कलाकृतियां श्रीअरविन्द के आलोक में’ 27 नवम्बर, 2021 जवाहर कला केन्द्र, जयपुर श्री अरविन्द सोसायटी, जयपुर द्वारा आयोजित ‘संविधान की कलाकृतियां श्रीअरविन्द के आलोक में’ विषयक आज के इस गरिमामय समारोह में उपस्थित राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीष न्यायमूर्ति विनोद शंकर दवे जी, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय श्री गुरूचरण सिंह गिल जी, श्री अरविन्द सोसायटी के राजस्थान सचिव श्री सूर्यप्रताप सिंह राजावत जी, सोसायटी के अध्यक्ष श्री आमोद कुमार जी एवं उपाध्यक्ष डॉ. निरूपम रोहतगी जी, सोसायटी के जयपुर अध्यक्ष श्री ए.के.सिंह जी और सचिव श्री दीपक तुलस्यान जी तथा अन्य उपस्थित सभी गणमान्यजन, मीडिया के मेरे साथियों। यह अत्यन्त सुखद है कि श्री अरविन्द सोसायटी, राजस्थान ने भारतीय संविधान के कलापक्ष पर ऐसे सुन्दर आयोजन और महती प्रदर्षनी की पहल की है। महर्षि अरविन्द को मैं राष्ट्र ऋषि कहता हूं। राष्ट्रीयता से ओतप्रोत वह ऐसे महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने चिंतन और सृजन से सद

सनातन धर्म ही राष्ट्रीयता है-श्री अरविन्द

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सनातन  धर्म एक जीवन पद्धति है. हिन्दू धर्म पर भारत के सर्वोच्च न्यायलय का भी यही मत रहा है.श्री अरविन्द  उत्तरपाड़ा का भाषण "हिन्दू - सनातन" धर्म के बारे में आज भी हमें सरल , सहज भाव से ,यही दृष्टी समझने में पूरी मदद करता है। HINDU, HINDUISM ,HINDUTAVA  ​आदि पर समग्र चिंतन , दृष्टि और दर्शन मिलता है श्रीअरविन्द का उत्तरपाड़ा का भाषण (AUDIO LINK) . सनातन धर्म ही राष्ट्रीयता है- (१) ===================== (अलीपुर जेल से छूटने के बाद श्रीअरविंद का पहला महत्त्वपूर्ण भाषण उत्तरपाड़ा में हुआ था। 'धर्म रक्षिणी सभा' के वार्षिक अधिवेशन में १९०१ के दिन यह उद्बोधन हुआ था। इसमें उन्होंने अपने जेल-जीवन का आध्यात्मिक अनुभव सुनाया और साथ ही देश को सच्ची राष्ट्रीयता का संदेश दिया। इसमें उन्होंने बताया है कि सच्चा हिंदू धर्म, सच्चा सनातन धर्म क्या है और आज के संसार को उसकी क्यों जरूरत है। उनका यह भाषण उनके जीवन में एक नये मोड़ का परिचय देता है। इस भाषण को सौ वर्ष से अधिक पूरे हो गये हैं) >>> जब मुझे आपकी सभा के इस वार्षिक अधिवेशन में बोलने के लिये कहा गया, तो मैंने यही सोचा था क