धर्म, ब्रह्म,अवतार,कर्मयोग और यज्ञ के पांच दीपक
22 जनवरी को पांच दीपक प्रज्वलित करूंगा जो प्रतीक होंगे - धर्म, ब्रह्म,अवतार,कर्मयोग और यज्ञ के |
पहले दीपक धर्म का- श्री
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के लोगों को स्मरण करूंगा |श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है "रामो विग्रहवान् धर्म:" (भगवान श्रीराम धर्म के मूर्तरूप हैं)।वाल्मीकि
रामायण के अरण्य कांड का पूरा श्लोक इस प्रकार है "रामो विग्रहवान् धर्म:, साधु: सत्य पराक्रम:, राजा
सर्वस्य लोकस्य, देवानामीव वासव:''. यह
श्लोक तब का है जब रावण मारीच से माता सीता के अपहरण में सहायता मांगता है. सहायता
से पूर्व मारीच रावण को बुरा भला भी कहता है. इस श्लोक में मारीच श्रीराम की
वैशिष्ट्य यानी विशेषताएं बयां करता है. भारतीय
संस्कृति, सभ्यता, विरासत और
आध्यात्मिकता में धर्म का क्या अर्थ है? यह समझने के लिए यह निति वाक्य सबसे सर्वश्रेष्ठ है|
ब्रह्म का दीपक –
व्यष्टि, समष्टि और परात्पर के संबंध को
भारतीय दर्शन के आधार पर समझने पर ही भारतीय आध्यात्मिकता, संस्कृति, सभ्यता,
इतिहास और विरासत को सही अर्थ में समझा जा
सकता है. श्रीअरविन्द बताते हैं कि तीन स्तरीय पक्ष भारतीय
दर्शन में स्पष्ट रूप से स्वीकार किये गए हैं |
कर्मयोग का दीपक -
श्रीअरविंद के योग समन्वय में लिखते हैं कि “सारा जीवन ही योग है”| समय आ गया है
कि इसका अर्थ और भाव समझना कि किस प्रकार
हमारे सभी कर्म “कर्मयोग” की श्रेणी में आ जाएं |सृष्टि के विधान से प्रेरित कर्म ही कर्मयोग
बनते हैं |बाकी तो सब तैयारी है |
यज्ञ का दीपक - इस शब्द के
भौतिक अर्थ से अधिक महत्वपूर्ण है इसका प्रतीकात्मक अर्थ. जिससे कि सृष्टि में
हमारी भूमिका उद्देश्य और सार्थकता समझ में आ सके|
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