मणिपुर पर ग्रहण के एक से अधिक कारण
आज देश में नहीं पूरे विश्व में मणिपुर में हुई कोई घटना पर चर्चा हो रही है।मणिपुर में दो महिलाओंको निर्वस्त्र कर घुमाने और सामूहिक दुष्कर्म की घटना अमानवीय है । इसकी घोर निंदा करनी चाहिए। इस घटना ने मानवता को शर्मसार किया है। इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है?क्या यह केवल दो कबीलों (मैती और कुकी ) के बीच की लड़ाई के कारण हुई है? क्या इसका एक बड़ा कारण उच्च न्यायालय मणिपुर द्वारा पारित निर्णय है जिसमे मैती समुदाय को अनुसूचित जन जाती में जोड़ने पर विचार करने का आदेश पारित किया गया ?क्या धर्मांतरण भी इसका एक मुख्य कारण हो सकता है? जिसके कारण हिन्दू की जनसँख्या में भरी गिरावट आ रही है ।म्यांमार से विदेशी घुसपैठ को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जिसके कारण यहां के स्थानीय संसाधनों पर असर पड़ता दिखाई दे रहा है। यहां तक भी कहा जा रहा है कि 1 फेक वीडियो के कारण इस प्रकार की अति निंदनीय घटना घटी है। बीबीसी द्वारा जारी न्यूज़ में अफीम की खेती पर सरकार द्वारा की गई कठोर कार्यवाही को भी एक बड़ा कारण बताया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। 60,000 से ज्यादा पुलिस फोर्स और आर्मी फोर्स को तैनात किया गया ह। संसद में इस पर चर्चा अत्यंत आवश्यक है क्योंकि लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों को इस महत्वपूर्ण और संवेदनशील पर तथ्य तर्क रखने चाहिए।
मणिपुर पर ग्रहण लगाया गया है। इस पूरे घटनाक्रम में
सबसे निंदनीय और अशोभनीय बात यह है कि महिलाओं को युद्ध का हथियार बनाया जा रहा है। विपक्ष द्वारा मणिपुर के मुख्यमंत्री से त्यागपत्र की मांग
की जा रही है परंतु प्रश्न किए है क्या मुख्यमंत्री के त्यागपत्र से इस समस्या का
समाधान हो जाएगा अथवा मणिपुर में ड्रग माफिया के विरुद्ध नो टॉलरेंस नीति के अंतर्गत यह एक षड्यंत्र है ।
इस घटना के क्रम में नया मोड़ उस समय ले लिया जब राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री ने अपने ही मंत्रिमंडल के युवा मंत्री राजेंद्र गुढा को मंत्री पद से हटा दिया। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने राजस्थान विधान सभा में राज्य सरकार से यह पूछा कि राजस्थान में महिलाएं असुरक्षित क्यों है ? इसके उत्तर में राजस्थान सरकार को महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित सरकार द्वारा किये गए प्रयासों को सदन के सामने रखते तो विषय की गंभीरता समझ आती। मणिपुर की घटना पर चर्चा के समय सभी राजनीतिक दलों को राजनीति वोटों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में चर्चा करने की आवश्यकता है।
मणिपुर में नार्को टेररिज्म को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। विश्व में अफीम की खेती में मणिपुर का नंबर दो पर आता है। मणिपुर में 15,400 एकड़ में पोस्त अफीम की खेती होती है ,पिछले 5 साल में 2,500 गिरफ्तारी हुई है ।वर्ष 2018-19 में मणिपुर में 2,241 एकड़ पोस्ते की खेती नष्ट कर दी गई।राज्य पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर पुलिस ने 2022-23 में 4305.1 एकड़ अवैध पोस्त की खेती को नष्ट कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, नशा मुक्त मणिपुर के लिए नशीली दवाओं को जड़ से खत्म करने के लिए राज्य सरकार के 'ड्रग्स पर युद्ध' मिशन के एक हिस्से के रूप में पोस्ता के बागानों को नष्ट करना शुरू किया गया था।2017 और 2022 के बीच मणिपुर पुलिस सहित कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा लगभग 18,000 एकड़ में खेती की गई अवैध पोस्ता को नष्ट कर दिया गया।
तो यह स्पष्ट है कि नार्को
आतंकवाद एक मुख्य मुद्दा है मणिपुर जैसे
राज्य में। क्योंकि इस नार्को
आतंकवाद में बहुत बड़ा पैसा दाँव पर लगा है जो इंटरनेशनल आतंकवाद
से जुड़ा है ।
इस पृष्ठभूमि के अभाव में किसी भी प्रकार की टीका टिप्पणी करनी बचकानी हरकत ही है। यह भी समझा जा सकता है कि सरकार द्वारा अफीम माफिया की रीड की हड्डी तोड़ने के प्रयास के विरोध में और फेक वीडियो की आड़ में कानून व्यवस्था को भंग करने का एक बड़ा षड्यंत्र सामने आ रहा है। परन्तु अफसोस इस बात का है कि सोशल मीडिया पर अभी भी मणिपुर की घटना पर फेक कमेंट , काल्पनिक तथ्य, फोटोशॉप फेक फोटो शेयर करी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः ही इस प्रकरण पर संज्ञान लिया जाना कई प्रकार के प्रश्न खड़े करता है। नूपुर शर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका क्या रही ?जगजाहिर है । कश्मीर में नरसंहार और महिलाओं के साथ बर्बरता पर सुप्रीम कोर्ट के रवैया से भारत में रोष है। बंगाल में पिछले 4 साल में हुई हिंसा पर मौत के तांडव को देखने में क्यों असमर्थ रही इसका उत्तर सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक नहीं दिया है ।
नार्थ ईस्ट को समझने के लिए एक
उदाहरण ही पर्याप्त है कि वहां महिलाओं को आरक्षण देने की जब बात हुई तो महिलाओं
द्वारा ही इसका विरोध किया गया क्योंकि महिला आरक्षण में एक तरह से महिलाओं को
पुरुष के बराबर ना समझा गया जिससे कि वहां की महिलाओं ने पूरी तरह से नकार दिया। इसी प्रकार हमारे भारतीय संविधान में भी अनुसूचित क्षेत्र के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं और उसके लिए भारत के राष्ट्रपति को
विशेष शक्तियां प्रदान की गई हैं । यह विशेष प्रावधान
संविधान सभा की डिबेट्स मैं स्पष्ट रूप से अंकित है जिसका आधार युक्तियुक्त है।
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