यूनिफॉर्म सिविल कोड -"मुल्ला का इस्लाम" के स्थान पर "अल्लाह का इस्लाम" का मार्ग प्रशस्त होगा
आज पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर चर्चा चल रही है। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर चर्चा इतनी पुरानी है जितना कि हमारा संविधान। संविधान बनाते समय संविधान सभा में इस विषय पर अनुच्छेद 35 के तहत चर्चा हुई थी जो कि आज के संविधान में अनुच्छेद 44 के तहत है। यह बड़े आश्चर्य और अचरज की बात है कि जो दुविधा संदेह संविधान को बनाते समय यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में थे वही उसी तरह की भ्रांति आज भी हमारे समाज में फैली हुई है। लॉ कमीशन ऑफ इंडिया 2018 की रिपोर्ट कंसल्टेशन पेपर ऑन रिफॉर्म ऑफ फैमिली लॉ मैं इसका उल्लेख है कि संविधान सभा ने किन कारणों से यूनिफॉर्म सिविल कोड को मौलिक अधिकारों में नहीं जोड़ा। उसमें पहला संदेह यह था कि क्या यूनिफॉर्म सिविल कोड और पर्सनल लॉ समानांतर रूप से लागू होंगे ? या यूनिफॉर्म सिविल कोड पूरी तरह से पर्सनल
लॉ को हटा देगा ? इसी के साथ यूनिफॉर्म सिविल कोड को माइनॉरिटी कम्युनिटी के पर्सनल लॉ या उनके धार्मिक कानूनों से भी जोड़कर भी देखा गया ? परंतु संविधान सभा की डिबेट्स को पढ़ने पर यह स्पष्ट होता है कि कहीं भी यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर धर्म के मौलिक प्रावधानों से कोम्प्रोमाईज़ करने की कोशिश नहीं की गई थी। और ना ही यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ है किसी की भी मौलिक धार्मिक भावनाओं को आहत करना। कोई भी सभ्य समाज या लोकतंत्र कभी भी किसी भी समुदाय की मौलिक धार्मिक आस्थाओं को आहत नहीं करेगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड की बहस में इस मुद्दे को समझने के लिए हमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शाहबानो केस में पारित निर्णय को समझना होगा। शाहबानो केस में भरण पोषण की व्याख्या माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कुरान में अंकित विभिन्न आयतों को देखकर की गई थी -
धर्मग्रंथों का अध्ययन करने के बाद माननीय न्यायालय ने निर्णित किया "इन आयतों में कोई संदेह नहीं है कि कुरान मुस्लिम पति पर तलाकशुदा पत्नी के लिए भरण-पोषण का प्रावधान करने या प्रदान करने का दायित्व डालता है।" (पैरा 25)
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्सनल लॉ (निजी कानून) से स्पष्ट हो जाता है -
1) तुर्किये : जीवनसाथी के जीवित होने पर न्यायालय द्वारा एक से अधिक शादी (polygamy ) को अवैध घोषित किया जा सकता है।
2) पाकिस्तान : एक से अधिक शादी (polygamy ) के लिये समुचित प्राधिकारी से अनुमति लिया जाना अनिवार्य है।
3) ईरान : कोई भी व्यक्ति बिना न्यायालय अनुमति के एक से अधिक शादी (polygamy ) नहीं कर सकता।
4) ईजिप्ट, जॉर्डन, मोरक्को, सीरिया में इसी प्रकार एक से अधिक शादी (polygamy ) के नियमो के अधीन प्रावधान है।
5) ट्यूनिशिया : एक से अधिक शादी (polygamy ) पूर्णतया प्रतिबंधित है.
6) ईरान, अलजीरिया, इण्डोनेशिया, मलेशिया में विवाह का पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य है।
भारत में गोवा राज्य में पुर्तगाल शासन से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है परन्तु गोवा में रह रहे मुसलमानों ने अपनी पहचान और अपनी संस्कृति को बरकरार रखा है।
इसी प्रकार शादी के लिए बांग्लादेश में पुरुष की आयु 21 और महिला की आयु 18 वर्ष से अधिक हो पंजीकरण के लिए वैध मन गया है।
यूनाइटेड किंगडम में सभी नागरिको के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
महिलाओं के अधिकार ,संवैधानिक नैतिकता , मानव अधिकार , सेकुलरिज्म, जेंडर समानता, आदि मूल्यों और सिद्धांत्तों के आधार पर सार्थक संवाद से मुल्ला का इस्लाम के स्थान पर अल्लाह का इस्लाम का मार्ग प्रशस्त होगा।
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