यूनिफॉर्म सिविल कोड-संविधान, इतिहास एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति

 1. यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में स्पष्ट रूप से अंकित किया गया है।

 
2. संविधान सभा में चर्चा के दौरान यह स्पष्ट हो गया था कि अनुच्छेद 44 के अंतर्गत यूनिफॉर्म सिविल कोड को शीघ्र ही लागू किया जाए। इस संदर्भ में डॉ. अम्बेडकर द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में दिनांक 23 नवम्बर 1948 की चर्चा सभी भारतीयों को पढ़नी चाहिए।

3. भारतीय दण्ड संहिता 1973 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 भारत के सभी लागों पर लागू होती है। इससे स्पष्ट है कि भारत के मुसलमानों ने बिना किसी विरोध के फौजदारी मामलों में शरिया कानून के लागू नहीं होने पर किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं किया गया। पाकिस्तान व बांग्लादेश में जैसे कि शरिया कानून के अंतर्गत चोरी के अपराध के लिए चोरी करने वालों के हाथों को काट दिया जाता है। इसी प्रकार दो महिलाओं के साक्ष्य एक पुरूष के साक्ष्य के बराबर माना गया है।
 
4. भारत में गोवा राज्य में पुर्तगाल शासन से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है परन्तु गोवा में रह रहे मुसलमानों ने अपनी पहचान और अपनी संस्कृति को बरकरार रखा है।
 
5. भारत के विभाजन से स्पष्ट हो गया था कि भारत में शरिया कानून की कोई जगह नहीं होगी एवं भारत में रहने के लिए जिन मुसलमानों ने उस समय विकल्प चुना था उन्हें स्पष्ट रूप से मालूम था कि भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड ही भारत का भविष्य होगा। अतः यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करने का कोई आधार भारतीय मुसलामानों के नहीं है।
 
6. पंथ निरपेक्ष भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया जाना न केवल अपेक्षित है बल्कि भारतीय एकता व अखण्डता एवं सामाजिक समरसता के लिए अपरिहार्य है।
 
7. सर्वविदित है कि शाहबानो केस प्रकरण में मुस्लिम समुदाय में केवल सुन्नी वर्ग ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का विरोध किया था।
 
8. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्सनल लॉ (निजी कानून) से स्पष्ट हो जाता है कि शरियत के पर्सनल लॉ में संशोधन किया जा सकता है जैसे :-
1) तुर्किये : जीवनसाथी के जीवित होने पर न्यायालय द्वारा दूसरी शादी (bigamy) को अवैध घोषित किया जा सकता है।
2) पाकिस्तान : दूसरी शादी (bigamy)  के लिये समुचित प्राधिकारी से अनुमति लिया जाना अनिवार्य है।  
3) ईरान : कोई भी व्यक्ति बिना न्यायालय अनुमति के  दूसरी शादी (bigamy) नहीं कर सकता।
4) ईजिप्ट, जॉर्डन, मोरक्को, सीरिया में इसी प्रकार दूसरी शादी (bigamy)  प्रतिबन्धित है।
5) ट्यूनिशिया : दूसरी शादी (bigamy)  पूर्णतया प्रतिबंधित है।
6) ईरान, अलजीरिया, इण्डोनेशिया, मलेशिया में विवाह का पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य है।

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