द केरल स्टोरी -अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद आई एस आई एस के नेर्टवर्क को समझाने का प्रभावी , सशक्त और सफल प्रयास
द केरल
स्टोरी
फिल्म
के
शुरू में
ही निर्माता
विपुल शाह
और
निर्देशक सुदीप्तो
सेन
द्वारा दर्शको
यह सूचित
किया जाता है
कि यह फिल्म.
सत्य घटनाओं से
प्रेरित है. यहां यह
लिखना आवश्यक है
कि
यह
फिल्म इस बात
का दवा नहीं
करती कि यह
फिल्म सत्य घटनाओं
पर आधारित है
परंतु सत्य घटनाओं
से प्रेरित है.
अर्थात इस फिल्म
को बनाने के.
के पीछे भाव
है और वही
भाव और
समझ
इस फिल्म के
माध्यम से दर्शकों को
एक संदेश देने
के उद्देश्य से
यह बनी है
उसको समझना आवश्यक
है.
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से ऐसा कौन सा देश है जो आज प्रभावित नहीं है. इसी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद में एक नाम है आई एस आई है. इस फिल्म में आईएसआई द्वारा भारत में केरल की युवतियों को भ्रमित कर धर्म परिवर्तन करा कर. यौनदासी के तौर पर सीरिया के संघर्ष क्षेत्र में आतंकवादियों के मनोरंजन के लिए भेज दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को. बताने की कोशिश की गई है. फिल्म कोई अशिक्षित या बिना पढ़ी लिखी युवतियों की कहानी नहीं बल्कि नर्सिंग कॉलेज में अध्ययनरत युवतियों की कहानी. है। एक बहुत सुगठित परिस्थितिकी तंत्र. के बारे में यह फिल्म बताती है. यह फिल्म यह सोचने पर मजबूर करती है कि इस प्रकार के षड्यंत्र या नेटवर्क में पढ़ी-लिखी युवती किस प्रकार फस जाती है. परंतु दूसरी और कुछ. सच्चाई हमारे सामने आती है जैसा फिल्म में शालिनी उन्नीकृष्णन ( फिल्म में जिसका धर्म परिवर्तन पर नाम बदल कर फातिमा बी कर दिया जाता है ) की भूमिका निभाने वाली कलाकार अदा शर्मा एक इंटरव्यू में बताती है कि अगर आप अपनी आस्था में दृढ़ नहीं है तो कोई आपको भ्रमित कर सकता है यह तकनीक है दूसरी तकनीक है प्यार में फसाना ,तीसरी तकनीक है जैसा कि इस फिल्म में भी दिखाया गया है कि लड़की बहुत ही समझदार दम शांत है फिर भी उसको धोखे से नशा करा कर दुष्कर्म करते हैं.
आश्चर्य तो इस बात का होता है कि इस फिल्म को लेकर कई संगठन सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के समक्ष इस फिल्म को. बैन करने के लिए रिट याचिकाएं दायर की गई है. याचिकाकर्ताओं की आपत्ति यह है कि इस फिल्म में एक विशेष. धर्म समुदाय को टारगेट किया गया है. परंतु. इस फिल्म में कहीं भी इस प्रकार का कोई दृश्य नहीं है जिससे कि यह कहा जाए कि इस फिल्म में केवल इस्लाम को टारगेट किया गया है. इस प्रकार के संगठन केवल और केवल आई एस आई एस जैसे आतंकवादी संगठनों को उनके उद्देश्यों में उनको सहयोग. देते हैं. इस प्रकार से आईएसआई का समर्थन करना याचिकाकर्ताओं के चाल और चरित्र के बारे में स्पष्ट रूप से बताता है कि वे भारत में फैल रहे आतंकवाद. को किस प्रकार से. न्याय. न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से. बचाव कर रहे हैं. क्या इस प्रकार की न्यायिक याचिकायें आई एस आई के नेटवर्क का हिस्सा नहीं है इस यह जांच का विषय होना चाहिए। कई लोगों ने इस फिल्म में बताए गए आंकड़ों को लेकर प्रश्न किया है. मुझे दुख और पीड़ा होती है कि हमारे भारत के बुद्धिजीवी वर्ग के मन में पीड़ा के लिए संख्या महत्व पूर्ण है . मानव अधिकारों एवं. भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत. संख्या को किसी प्रकार की वरीयता नहीं दी गई है. प्रत्येक युवती जिसकी संख्या. एक ही क्यों ना हो को आई एस आई. आतंकवादी संगठन संगठनों के नेटवर्क से बचाना न केवल भारतीयों के लिए यह एक कर्तव्य है बल्कि मानवता एवं पूरे विश्व. को खतरे से बचाना हर भारतीय का कर्तव्य है.
Comments
Post a Comment