उच्च न्यायलय जोधपुर में संविधान में कलाकृतियों की प्रदर्शनी
भारत के मूल संविधान में कलाकृतियों पर उच्च न्यायलय जोधपुर में 7 दिसंबर 2018 को पहली बार प्रदर्शनी लगी थी । 24 जनवरी 1950 के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए आज 24 जनवरी 2023 फिर से उच्च न्यायलय जोधपुर में संविधान संविधान में कलाकृतियों , और महत्वपूर्ण चित्रों की प्रदर्शनी लगायी।
24 जनवरी 1950 का ऐतिहासिक महत्व -प्रथम महत्व-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने लिए था निर्णय कि जन-गण-मन और वन्देमातरत
को मिलेगा समान सम्मान और स्थान। द्वितीय महत्व -सभापति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान के
हिन्दी अनुवाद के संस्करण का किया प्रमाणिकरण था। तृतीय महत्व - भारत के
प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का निर्वाचन .चतृर्थ महत्व - माननीय सदस्यों ने
संविधान में हस्ताक्षर किए
थे .हिन्दी
और अंग्रेजी की दो प्रतियों पर जिस पर आचार्य नंदलाल बोस ने भारत की सभ्यता के चित्र उकेरे थे।
अंग्रेजी में संविधान को सुलेख करने का श्रेय मिला प्रेम
बिहारी नारायण रायजादा को और हिन्दी में
संविधान को सुलेख का श्रेय मिला वसंत कृष्ण वैध को। दीनानाथ
भार्गव ने बनाया था राष्ट्रीय संप्रतीक। रामव्योहर सिंहा ने
सजाया उद्धेशिका के पृष्ट को। राजस्थान के लाल कृपाल सिंह शेखावत ने सजाया था
था संविधान के पृष्ठ संख्या एक
देश के संविधान की मूल प्रति में भारतीय संस्कृति का चित्रण भारत की संस्कृति और सभ्यता को समझने का आधार है।
मूल संविधान में वैदिक काल के गुरूकुल
का दृश्य रामायण से श्रीराम व माता सीता और लक्ष्मण के वनवास से घर वापस आने का
दृश्य, श्री कृष्ण द्वारा अर्जून को कुरूक्षेत्र में दिए गए गीता का उपदेश, के
दृश्यों को दर्शाया गया। इसी प्रकार गौतम बुद्ध व महावीर के जीवन, सम्राट अशोक व
विक्रमादित्य के सभागार के दृश्य मूल संविधान में मिलते है। इसके अलावा अकबर,
शिवाजी, गुरूगोबिन्द सिंह, टीपू सुल्तान और रानी लक्ष्मीबाई के चित्र भी मूल
संविधान में है। स्वतंत्रता संग्राम के दृश्य को महात्मा गांधी की दाण्डी मार्च से
दर्शाया है। इसी प्रकार नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का चित्र मूल संविधान में
राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है। मूल संविधान में
"भारतमाता" का उल्लेख नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र के वर्णन में
मिलता है।
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