​अग्निपथ योजना -- संविधान सभा की अभीप्सा

 


अग्निपथ   योजना के बारे में आज मीडिया में कई स्तर पर डिबेट चल रही है एक प्रश्न पूछा जा रहा है​,​ क्या अग्नीपथ योजना संविधान से संबंधित है​ ?​ जिसका उत्तर सकारात्मक मिलता है ​​जब हम ​संविधान सभा की ​ डिबेट्स दिनांक 3 दिसंबर 1948 को ​एच ​ वी कामत की डिबेट  का अध्ययन करते हैं ​ .
एच वी कामत कहते हैं  ​"मुझे अच्छी तरह स्मरण है  कि राष्ट्रीय योजना निर्माण समिति की कार्यवाही की रिपोर्ट में, जिसेकि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने स्थापित किया था तथा जिसका सभापतित्व पं. जवाहरलाल नेहरू ने किया था और जिसमें 3, 4 वर्ष से अधिक समय तक मेरे मित्र प्रोफेसर  के .टी. शाह ने महत्त्वपूर्ण सेवा की थी, उस रिपोर्ट में यह सुझाव रखा गया था कि सामाजिक सेवा के  लिये सब नागरिकों की अनिवार्य भर्ती होनी चाहिए​ ​और पं. नेहरू तो इस विषय पर बोलते हुये इतना तक कह गये थे कि किसी छात्र को विद्यालय की उपाधियां तब तक नहीं मिलनी चाहिए जब तक कि वह छः मास तक किसी प्रकार की सामाजिक सेवा न कर ले।​"​

....शस्त्र  ग्रहण करने के  कर्तव्य को पालन करवाना तो राज्य के  लिये मरनेकी भावना अथवा  इस ​​सिद्धांत      की बाह्य अभिव्यंजना है। हमें राज्य के  लिये मरना चाहिये, इस ​​सिद्धांत  की ही अभिव्यक्ति है शस्त्रा-धारण करने का कर्त्तव्य। किन्तु प्रत्येक नागरिक को इससे भी उच्चतर कर्त्तव्य का पालन करना होता है, और वह कर्तव्य है राज्य के  लिये जीनाराज्य के  लिये जीना, केवल राज्य के  लिये मरना ही नहीं और राज्य के  लिये जीने के  इस ​​सिद्धांत  का सम्बन्ध है शस्त्रा-धारण करने के  अधिकार से।"

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