कैसा हो नई शिक्षा नीति के बाद नया पाठ्यक्रम



राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर देशभर में सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने रही है। लोकतंत्र में संवाद सबसे बड़ा आधार होता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक मत का कारण यही रहा है कि इस नीति को बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से लोकतांत्रिक रही। सभी से सुझाव मांगे और युगधर्म और राष्ट्रीय अभिप्सा की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमारे सामने है। आगामी चरण में पाठ्यक्रम की विषयवस्तु तय करनी है।

पूरे भारत वर्ष में राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में सभी विद्यालयों में पढ़ाया जाता है। अतः राष्ट्रीय प्रतीक के इतिहास एवं उसके आकार, रंग के बारे में भारतीय पृष्ठभूमि में व्याख्या अपेक्षित है। जैसे भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा। तिरंगे में तीन रंग और मध्य में चक्र की व्याख्या डॉ. राधाकृष्णन के शब्दों में विद्यार्थियों को बताया जाना आवश्यक है। जहां केसरिया रंग को अध्यात्मिकता, सफेद रंग को नैतिक आचरण, चक्र को धर्म के निरंतर बदलाव और हरे रंग को समृद्धि का प्रतीक बताया है।

राष्ट्रीय ध्वज भेंट समिति में 74 महिलाओं के बारे में भी चर्चा करनी चाहिए जिससे कि यह स्पष्ट हो सके कि महिलाओं की भागीदारी स्वतंत्रता संग्राम में एवं संविधान सभा में थी एवं सही अर्थों में महिला सशक्तिकरण की भावना विद्यार्थी समझ सके।

राष्ट्रीय सम्प्रतीक के बारे में भी स्पष्ट रूप से विद्यार्थियों को पढ़ाया जाना चाहिए कि भारत में शक्ति के रूप में चार सिंहों को स्वीकार किया है। हिंसा और अहिंसा को धर्म की सही समझ की पृष्ठभूमि में समझना होगा साथ ही व्यक्तित निर्णय एवं सामूहिक निर्णय में हिंसा और अहिंसा का निर्णय लेने की क्षमता विकसित करनी होगी जिससे युवा विद्यार्थी भारतीय फौज में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित हो सके।

देश के नक्शे को समझाते समय भारत को ‘‘भारत माता’’ के रूप में स्वीकारना एवं समय चक्र के अनुसार बंकिमचन्द्र चटर्जी, अबिन्द्र नाथ टैगोर, श्री अरविन्द, नन्दलाल बोस और चिंतामणि कार के विभिन्न रूप युवाओं को मालूम होने चाहिए जिससे कि युगधर्म अनुसार भारत माता का नया रूप विद्यार्थी बना सकें।

संविधान के बारे में प्रारम्भिक शिक्षा में ही सांविधानिक नैतिकता का पाठ पढ़ाते समय संविधान से भावनात्मक जुड़ाव पैदा करने के लिए संविधान के कलात्मक पक्ष के बारे में जानकारी विद्यार्थियों को होनी चाहिए जैसे मूल संविधान जिस पर संविधान सभा के माननीय सदस्यों के हस्ताक्षर है हिन्दी में कृष्ण बसन्त वैद्य और अंग्रेजी में प्रेम नारायण रायजादा द्वारा सुलेखन किया गया है। हस्तलिखित संविधान में कलात्मक चित्र बनाने का श्रेय आचार्य नन्दलाल बोस को मिलता है।

संविधान सभा में डॉ. अम्बेड़कर का भाषण दिनांक 04 नवम्बर 1948 और 25 नवम्बर 1949 एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का वक्तव्य दिनांक 26 नवम्बर 1949 का उल्लेख पाठ्यक्रम में अवश्य जोड़ा जाना चाहिए जिससे सांविधानिक नैतिकता का पाठ सरल एवं सहज तरीके से विद्यार्थियों को समझाया जा सकें।

राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को समान सम्मान और स्थान में संविधान सभा द्वारा दिया गया है। यह तथ्य विद्यार्थियों को हमेशा पढ़ाया जाना चाहिए जिससे कि बेवजह के विवाद से बचा जा सके इसके लिए 24 जनवरी 1950 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का वक्तव्य के बारे में बताया जाना चाहिए।

भारत का नीति वाक्य ‘‘सत्यमेव जयते’’ पर निबन्ध लेखन प्रतियोगिता अनिवार्य रूप से लोकतंत्र एवं गणतंत्र को मजबूत करेगी साथ ही भावी विद्यार्थियों को यह भी संदेश देगी कि सत्य को परेशान किया जा सकता है लेकिन हराया नहीं जा सकता। जिसके लिए रामायण एवं महाभारत की कहानियां एवं उसके चरित्र आज के युग में चरित्रवान भारत बनाने में सहायक होंगे।

सर्वोच्च न्यायालय का नीति वाक्य ‘‘यतो धर्मस्ततो जय’’ पर भी विद्यालयों में बहस का अवसर देने से केवल सर्वोच्च न्यायालय के प्रति निष्ठा एवं श्रद्धा बढ़ेगी बल्कि धर्म शब्द का सही ज्ञान भी युवाओं को मिलेगा। धर्म शब्द के सही अर्थ मालूम होने पर सेकूलरिज्म-पंथनिरपेक्षता-धर्मनिरपेक्षता पर भी चिंतन बढ़ने से लोकतांत्रिक मूल्य मजबूत होंगे।

Comments

  1. Nai sikcha niti desh ki avaskata thi jisako pura kiya gaya nai sikcha niti me sanstha ke madhyam se hamare bhi sujhav gsye the unka pratibimb bhi dekhane ko mila he ham nai sikcha niti ka sawagat karate he

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