क्रिमिनल लॉ सुधार समिति -2
क्रिमिनल लॉ सुधार समिति ने दूसरी प्रश्नावली वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों पर लोगों के विचार मांगे गए हैं। जिससे कि सुधार समिति अपना कुछ निर्णय ले सके. दूसरी प्रश्नावली में प्रश्नों को 5 भागों में बांटा गया है।
एबेटमेंट, क्रिमिनल कांस्पीरेसी, एटेम्पट के ऊपर राय मांगी गई है. भाग ए में जो कि लोक सेवकों से संबंधित हैं उनके बारे में यह राय मांगी गई है कि अध्याय 9 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे और इसको डिक्रिमिनलाइज कर दिया जाए. इसी प्रकार लॉ कमीशन की 277 रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह पूछा गया है कि रोंगफुल प्रॉसिक्यूशन की क्या परिभाषा और उसके क्या दायित्व हो?इसी प्रकार करप्शन ,ब्राइबरी, भ्रष्टाचार के तहत प्राइवेट सेक्टर में भी आपराधिक कार्यवाही किए जाने पर लोगों की राय मांगी गई।
समिति ने आजकल सोशल मीडिया पर हेट स्पीच को क्रिमिनलाइज करने एवं इसको एक अलग से अपराध घोषित करने के लिए राय मांगी गई है, कि हेट स्पीच को किस प्रकार से परिभाषित किया जाए और ऐसी कौन सी परिस्थितियां हो जिनके तहत स्पीच को हेट स्पीच की परिभाषा में माना जाए.
कोरोना महामारी का असर समिति की प्रश्नावली में साफ झलकता है जहां पर धारा
धारा
269,और 270 के तहत इनके लिए लापरवाही और जानबूझकर कृत्य के लिए अलग-अलग सजा देने पर राय मांगी गई है
अश्लीलता को लेकर धारा 292, और 9394 की भाषा पर राय मांगी गई। इसी प्रकार धर्म संप्रदाय पर किसी प्रकार की आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत( Blasphemy laws ) ब्लासफेमी लॉ के तहत परीक्षण करने पर सुझाव दिया है। अंत में विवाह से संबंधित अपराधों पर भी राय मांगी गई है जिसमें लिव इन रिलेशनशिप को विवाह मानते भी क्या धारा 494 के तहत कार्रवाई की जा सकती है? संविधानिक नैतिकता ,इंडिविजुअल स्वतंत्रता और जेंडर न्यूट्रलिटी के तहत धारा 493 और 498 को निरसन करने पर विचार मांगा गया है.
इसी प्रकार 498 ए जिसमें दहेज मांगने पर सजा का प्रावधान है उसकी परिभाषा और उससे संबंधित अरेस्ट -गिरफ्तारी वह अन्य प्रक्रियाओं पर मंथन करने का विचार किया जा रहा है. डिफेमेशन को डिक्रिमिनलाइज करने पर राय मांगी गई है.
पूरी प्रश्नावली https://criminallawreforms.in पर देखी जा सकती है।
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