कोरोना वैश्विक महामारी में विज्ञान का महत्व
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च 2020 को रात्रि 08.00 बजे यह घोषणा करी कि कोरोना महामारी की गम्भीरता को देखते हुए पूरे देश में 25 मार्च से लेकर14 अपै्रल तक लॉकडाउन लागू रहेगा। माननीय प्रधानमंत्री ने इस कठोर कदम को उठाने में राष्ट्रहित एवं जन स्वास्थ्य को आधार बताया।
कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी ने सभी को एक चिंतन की ओर मोड़ा है कि विज्ञान में मानव ने कितनी ही प्रगति कर ली है परन्तु प्रकृति के सामने मानव बौना ही है। इसके साथ ही एक निराशा का अभाव भी इस वक्त परिस्थितियों के विश्लेषण में महसूस किया जा सकता है। महामारियां पहले भी इस धरती पर आई जब विज्ञान ने बहुत ज्यादा प्रगति नहीं की थी और भविष्य में भी महामारी के आने से इन्कार नहीं किया जा सकता। विज्ञान की सहायता से इस महामारी को किस तरह से निपटा जा सके एवं विज्ञान किस रूप में मानव जाति को मदद कर सकता है। इसका निष्कर्ष निराशाजनक नहीं है।
लॉकडाउन में सभी नागरिकों एवं भारत में रह रहे लोगों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे घर से बाहर न निकले केवल जरूरी हो तो ही बाहर निकले जैसे कि चिकित्सा सुविधाऐं, दवाई लेने या दैनिक जरूरत सामान के लिए ही घर से बाहर निकले। दैनिक जरूरत के सामान में राजस्थान में गैस सिलेण्डर भी ऑनलाईन की जाती है एवं सिलेण्डर डिलेवरी भी कम्पनी द्वारा घर पर करी जाती है। इसी प्रकार दैनिक जरूरतों का सामान भी ऑनलाईन ग्रोशरी दुकानों से मंगवाया जा सकता है। इसी प्रकार ऑनलाईन बैंकिंग के माध्यम से टीवी रिचार्ज करना, मोबाईल रिचार्ज करना, डिमोरेटाईजन के बाद ज्यादा सरल हो गया है। बैंक में लाईन लगाने की जरूरत नहीं है। लगभग एटीएम सेन्टर काफी मात्रा में सभी जगह उपलब्ध है।
21 दिन घर पर रहना बिना अपनो से बातचीत किए एक तरह का दण्ड माना जा सकता है, परन्तु आजकल वॉट्सअप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, स्काईप आदि के माध्यम से हर व्यक्ति अपनों से सम्पर्क कर सकता है। चाहे वे एक शहर में हो या दूसरे देश में हो। इसी प्रकार मनोरंजन के लिए टीवी एवं ऑनलाईन सेवाऐं जैसे वेब चैनल का उपयोग किया जा सकता है।
लॉकडाउन का कारण स्पष्ट है कि कानून व्यवस्था पूरी तरह सही है। लॉकडाउन का कारण न तो प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, अकाल, सुनामी, तुफान आदि है। इसी प्रकार किसी को भी किसी प्रकार की अपनी जान या माल का खतरा किसी युद्ध, दंगे, सामाजिक वैमनस्य के कारण नहीं है।
इस लॉकडाउन में वंचित वर्ग या गरीब वर्ग के बारे में चिंता स्वभाविक है। परन्तु आधार कार्ड, जनधन बैंक खाता एवं मोबाईल के कारण सीधे ही जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाया जाएगा। इसी प्रकार स्वच्छता अभियान के अंतर्गत शौचालय निर्माण होने के कारण लॉकडाउन के कारण घरों में ही रहना सुलभ हो सकेगा। उज्जवला योजना में गरीब महिलाओं को गैस सिलेण्डरों की डिलेवरी लॉकडाउन को सफल बनाने में मदद साबित होगी। इसी प्रकार मनरेगा योजना के अंतर्गत लाभार्थी को सीधे ही बैंक में पैसा ट्रांसफर किया जाता है। जो कि लॉकडाउन में आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए सहायक होगा। राजस्थान में भामाशाह योजना में सभी परिवारों को जोड़ा गया है, जिसमें महिलाओं को मुखिया बनाया गया है एवं महिला का बैंक अकाउंट होना अनिवार्य है। अतः सभी प्रकार के आर्थिक लाभ महिला के अकाउंट में पहुंचेंगे।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना वायरस महामारी के पीछे विज्ञान का कितना हाथ है। परन्तु विज्ञान के कारण इस वैश्विक महामारी का सामना विज्ञान के माध्यम से किया जा सकता है। आवश्यकता यह है कि हम भय, आतंक, अफवाहे आदि से बचे एवं सरकार द्वारा जारी निर्देशों की पालना स्वयं भी करें, परिवार को भी करायें एवं पूरी तरह से राज्य को सहयोग करें। यहीं आज का राष्ट्रधर्म है।
SURYA PRATAP SINGH RAJAWAT
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