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भारत के मूल संविधान को नमन करते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी -
भारत के मूल संविधान को नमन करते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी - भारत के मूल संविधान को सुलेख करने का श्रेय वसंत कृष्ण वैद्य (हिन्दी की प्रति) और प्रेम बिहारी नारायण रायजादा (अंग्रेजी की प्रति) को जाता है। मूल संविधान को हस्तलिपिबद्ध करने पर मानदेय का प्रस्ताव पं. नेहरू ने दिया था। इस पर प्रेम बिहारी ने मानदेय लेने से इंकार तो किया पर यह शर्त रखी की मूल संविधान के सभी पृष्ठों पर उनका नाम अंकित होगा। अंतिम पेज पर उनका व उनके पिताजी का नाम लिखने की मंशा व्यक्त की] जिसे स्वीकार किया गया। भारत के मूल संविधान की उद्देशिका का कला कार्य ब्योहर राम मनोहर सिन्हा द्वारा किया गया। दीनानाथ भार्गव ने संविधान में भारत के सम्प्रतीत का चित्र बनाया है। संविधान में भारतीय सभ्यता का चित्रण का विचार प्रो. के.टी. शाह का था। जिसे संविधान के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने स्वीकार कर आचार्य नंदलाल बोस को भारतीय सभ्यता के चित्र बनाने की जिम्मेदारी दी। मूल संविधान में वैदिक काल के गुरूकुल का दृश्य रामायण से श्रीराम व माता सीता और लक्ष्मण के वनवास से घर वापस आने का दृश्य, श्री कृष्ण द्वारा
संविधान सभा में नामकरण संस्कार" भारत / इंडिया" पर निर्णायक चर्चा -18 सितम्बर 1949
हमारे देश का नाम क्या हो ? या यह कहे कि नामकरण संस्कार पर निर्णायक चर्चा संविधान सभा में 18.09.1949 को हुई। जिसमें कई प्रकार के प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये। एच . वी . कामथ का प्रस्ताव था कि भारत अथवा अंग्रेजी भाषा में इंडिया लिखा जावें। दूसरा विकल्प - हिन्द अथवा अंग्रेजी भाषा में इंडिया। बहस के दौरान कई नाम सुझाए गए जैसे - भारत , हिन्दूस्तान , हिन्द , भारतभूमि , भारतवर्ष । चर्चा के दौरान वर्ष 1937 में पारित किए गए आयरलैण्ड के संविधान का उदाहरण दिया गया। जहां आयरलैण्ड स्वतंत्रता राज्य के संविधान का अनुच्छेद निम्न प्रकार है :- ‘‘ राज्य का नाम एयर अथवा अंग्रेजी भाषा में आयरलैण्ड है।" इस पर एच . वी . कामथ ने कहा कि उन्होंने अंग्रेजी भाषा पर विशेष जोर क्यों दिया। क्या सब यूरोप की भाषाओं में ऐसा नहीं है। ‘‘ जर्मन शब्द इंडियन है और यूरोप के कई भागों में इस देश ( भारत ) का उल्लेख प्राचीनकाल के अनुसार हिन्दूस्तान के रूप में किया जाता है और भारत
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