National Motto of India-सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
भारत
सरकार एवं भारत
के सभी उच्च
न्यायालयों का नीति
वाक्य है। सत्यमेव
जयते का प्रयोग
आम जन तक
पहुंचाने का श्रेय
डॉ. मदन मोहन
मालवीय (25 दिसम्बर 1861-12 नवम्बर 1946) को जाता
है जिन्हें वर्ष
2015 में भारत रत्न
से सम्मानित किया
गया। सत्यमेव जयते
के सही अर्थ
समझने से भारतीय
दर्शन में सत्य
की खोज की
यात्रा के बारे
में जानकारी मिलती
है। इससे यह
भी मालूम पड़ता
है कि भारतीय
ऋषि, मनिषि, संत,
महापुरूष, योगी आदि
सभी ने सत्य
की खोज को
मानव जीवन के
चार पुरूषार्थ में
से एक पुरूषार्थ
माना है। साथ
ही साथ सत्य
के विभिन्न रूप
एवं अभिव्यक्ति को
स्वीकार किया है,
जिसको एकम् सत विप्रा बहुधा वदन्ति के
रूप में समझा
जा सकता है।
इसी कारण भारत
में सहिष्णुता और
विविधता भारतीय संस्कृति का
अभिन्न हिस्सा रही
है। अनेकान्त वाद
के सिद्धांत को
सत्य की यात्रा
में महत्वपूर्ण सेतु
माना है। व्यक्ति
की चेतना की
प्रगति के अनुपात
में सत्य का
साक्षात्कार मिलता है। यह
भारतीय अध्यामिकता का मूल
सिद्धांत है।
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