Article 35A
26-10-1947 में जम्मू कश्मीर का विलयन भारत में हुआ .
कश्मीर का भारत में विलय ब्रिटिश "भारतीय स्वातन्त्र्य अधिनियम 1947 " के तहत क़ानूनी तौर पर सही था।
भारत की संविधान सभा में जम्मू कश्मीर का प्रतिनिधि :शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ,मोतीराम बैग्रा, मिर्ज़ा मोहमद अफ़ज़ल बैग और मौलाना मोहमद सईद मसूदी । गोपाल स्वामी अय्यंगार की भूमिका अनुच्छेद 370 में महत्वपूर्ण थी .जम्मू कश्मीर राज्य को भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वायत्तता प्राप्त है। जो की शुरू से ही अस्थियी प्रावधान की श्रेणी में संविधान के भाग 21 में वर्णित है. भाग21 में अस्थायी ,संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान वर्णित है.
14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया.इस संविधान के मुताबिक स्थायी नागरिक वो व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो. साथ ही उसने वहां संपत्ति हासिल की हो.
अनुच्छेद 35A धारा 370 का हिस्सा है।अनुच्छेद 35A से जम्मू-कश्मीर सरकार और वहां की विधानसभा को स्थायी निवासी की परिभाषा तय करने का अधिकार मिलता है. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे अथवा नहीं दे.
26.11.1956 को जम्मू कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान को अंगीकार किया.जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा ने जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के निर्णय को स्वीकृति दी
परन्तु भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 पर राज्य संविधान सभा मौन रही. राज्य संविधान सभा द्वारा अनुच्छेद 370 पर अभिनिषेद या संशोधन का निर्णय नहीं लिया गया.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में लोगों ने शिकायत की थी कि अनुच्छेद 35A के कारण संविधान प्रदत्त उनके मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर राज्य में छीन लिए गए हैं, लिहाजा राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द किया जाए.इस अनुच्छेद को हटाने के लिए यह दलील दी जा रही है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था। इसी के साथ विभाजन के समय जो पाकिस्तान से शरणार्थी जम्मू-कश्मीर में आए उनके साथ इन अधिकारों को लेकर भेदभाव होता है। इन लोगों में 80% लोग पिछड़े समाज से आते हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में विवाह के बाद जाकर बसने वाली महिलाओं और अन्य भारतीय नागरिकों के साथ भी जम्मू-कश्मीर सरकार अनुच्छेद 35A को लेकर भेदभाव करती है
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