"हस्तलिखित मूल संविधान’’
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‘‘हस्तलिखित मूल संविधान’’
मेरा भारत महान मेरा संविधान महान, बनाया इसको हम लोगों ने, हम भारत की महान संस्कृति के लोगो ने। पहली अभीप्सा मिलती स्वराज की, तिलक की घोषणा से ‘स्वाराज है मेरा जन्माधिकार’ प्रथम मांग उठाई पूर्ण स्वतंत्रता की श्री अरविन्द ने, औपचारिक घोषणा करी एम.एन. रॉय ने संविधान सभा के लिए। मिली प्रतिकृति मूल हस्तलिखित संविधान की सूर्य प्रताप को बारह जनवरी 2017 को राष्ट्रीय युवा दिवस पर यह था यह उपहार देखा मूल संविधान तो मिला ज्ञान, जाना इसका इतिहास, समझी संविधान सभा की मंशा, सभा की दूरदृष्टि, समग्रता की। अखण्ड भारत के संविधान सभा की संख्या थी 389 भारत के संविधान सभा की संख्या हुई 299 सर बी.एन. राव को बनाया सांविधानिक सलाहकार सर बी.एन. राव ने प्रश्नमाला बनाई संविधान सभा के लिए संविधान सभा द्वारा हाथी को प्रतीक (मुहर) के रूप में अपनाया बनाई समितिया बनाने को संविधान अंग्रेजी में संविधान को सुलेख करने का श्रेय मिला प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को हिन्दी में संविधान को सुलेख का श्रेय मिला वसंत कृष्ण वैध को नंद लाल बोस ने किया संविधान का श्रृंगार
दिनानाथ भार्गव ने बनाया राष्ट्रीय
संप्रतीक
रामव्योहर सिंह ने सजाया उद्धेशिका के पृष्ट को राजस्थान के लाल कृपाल सिंह शेखावत ने सजाया संविधान के पृष्ठ संख्या एक को 10 पेजों में फैले हुए मिलते संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर।
बाइस भागो में बटा संविधान
भारत की सभ्यता का हो चित्रण मूल संविधान में प्रो के.टी. शाह का था प्रस्ताव अनुमोदन किया सभापति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने हर भाग की होती शुरूआत भारत की सभ्यता से भाग एक में मिलता मोहनजोदाडो की मोहर भाग दो में दिखाया परचम् वैदिक काल के गुरूकुल का, जिसमे छिपा बीज भारत के विश्वगुरू बनने का भाग तीन मे मिलते मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मणजी; दशानन्द रावण से जीत कर अयोध्या लोटते हुए भाग चार में मिलता संदेश गीता का श्रीकृष्ण देते उपदेश अर्जुन को धर्मयुद्ध का भाग पांच मे बुद्ध की करूणा भाग छः में महावीर की अहिंसा। भाग सात में अशोक का विस्तार भाग आठ में यक्ष का चित्र मिलता भाग नौ में विक्रमादित्य देते संदेश अपनी बतीस कहानियों से युवा के चरित्र निर्माण व देश निर्माण के लिए भाग दस में नालन्दा विश्वविद्यालय देता संदेश ज्ञान यज्ञ में भारत की ओर देखता संसार सारा भाग ग्यारह में उडिसा की कलादृष्टि बडाती संविधान में शान भाग बारह में नटराज है हमारी कला का आधार। भाग तेरह में दर्शाया लोक कल्याण के लिए करते तप भगीरथ लक्ष्य था गंगा माता का अवतरण भाग चौदह में मिलता मध्यकालीन राजा अकबर के दरबार का चित्रण भाग पन्द्रह में शिवाजी महाराज और गुरू गोविन्द सिंह बताते की भारत माता और धर्म के लिए सर्वोच्च न्योछावर करना भी कम, एक जीवन भी कम भाग सोलह में दिखाया रानी लक्ष्मीबाई और टीपू सुल्तान को अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष के शंखानाद को भाग सत्रह व अट्ठारह में महात्मा गांधी का मिलता चित्रण। भाग उन्नीस में मिलते नेताजी सुभाष चंन्द्रबोस व अन्य देशभक्त ‘भारत माता’ को बहार से स्वतंत्र कराने का प्रयास करते हुए देखा होता सभी सांसद ने इस चित्र को गौर से फिर न बोलते कि कहाँ लिखा संविधान में ‘‘भारत माता’’ भाग बीस में मिलता हिमालय ले जाता भारत को उसकी तप भूमि में, ऋषि, मुनी की परम्परा में भाग इक्कीस में दिखता रेगिस्तान याद दिलाता मीरा और प्रताप की भाग बाईस में हिन्द सागर की लहरें गोता लगाती, करती वंदन जब भारत कहलाता था ‘‘सोने की चिड़िया’’ जिसका आधार रहा बौधिकता, प्राणिक शक्ति और केंद्र मे आध्यात्मिक्ता।
24 जनवरी 1950 भी का ऐतिहासिक महत्व
संविधान के लिए हम भारत के लोगों के लिए
प्रथम महत्व- लिए था निर्णय डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने
कि जन-गण-मन और वन्देमातरत को
मिलेगा समान सम्मान और स्थान।
द्वितीय महत्व - संविधान के हिन्दी संस्करण का किया प्रमाणिकरण
सभापति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने।
तृतीय महत्व - भारत के प्रथम राष्ट्रपति का निर्वाचन
चतृर्थ महत्व - किए माननीय सदस्यों ने संविधान में हस्ताक्षर
हिन्दी और अंग्रेजी की दो प्रतियों पर
जिसपर आचार्य नंदलाल बोस ने चित्र अंकित किए थे
चित्रों में थी भारत की सभ्यता।
सूर्य प्रताप सिंह राजावत
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