राजऋषि डॉ. भीमराव अम्बेडकर
राजऋषि डॉ. भीमराव अम्बेडकर
डॉ. भीमराव अम्बेडकर बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनका जीवन प्रत्येक भारतीय के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है। ज्ञान के आधार पर उन्होंने समाज में उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त की। डॉ. अम्बेडकर ने डबल पीएचडी अर्जित की थी। डॉ. अम्बेडकर संविधान प्रारूपण समिति के अध्यक्ष थे। 4 नवम्बर 1948 को संविधान प्रारूप को पेश करते समय डॉ. अम्बेडकर ने संविधान नैतिकता का उल्लेख किया था। संविधान नैतिकता के अंतर्गत चुनी हुई संसद द्वारा पेश किये गये बिल पर बहस होती है। बहस में एैतिहासिक, कानूनी, सांस्कृतिक, धार्मिक, नैतिक, अन्तर्राष्ट्रीय कानून के तर्क भी रखे जाते है। संसद में पेश करने पर प्रारूप सभी आमजन को पढ़ने एवं समझने के लिये उपलब्ध रहता है। मीडिया भी पक्ष-विपक्ष के विशेषज्ञ, सिविल सोसायटी को एक मंच पर लाकर लोगों को प्रस्तावित प्रारूप के बारे में शिक्षित करने का काम करती है। संसद में बिल पर वोटिंग होती है, बहुमत मिलने पर माननीय राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद बिल कानून के रूप में राजपत्र में छपने पर एक निश्चित दिन से लागू किया जाता है। इस प्रक्रिया में न्यायपालिका की भूमिका कानून बनने के बाद आती है। जो भी न्यायलय का निर्णय हो, सबको सम्मानपूर्वक उसका आदर करना चाहिए। इस प्रक्रिया का सम्मान, आदर ही संवैधानिक नैतिकता कहलाती है।
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