सरोगेट विज्ञापन से बेखबर राजस्थान निर्वाचन आयोग

 

  


अधिवक्ता सूर्य प्रताप सिंह राजावत  द्वारा कांग्रेस पार्टी के चुनाव विज्ञापन में सात गारंटीयों के विज्ञापन को C VIGIL एप  में शिकायत दर्ज कराई.अधिवक्ता राजावत ने बताया की  यह विज्ञापन सरोगेट एडवर्टाइजमेंट की श्रेणी में आता है एक प्रकार का भ्रमित करने वाला विज्ञापन है इसको समझने के लिए महंगाई राहत कैंप की प्रक्रिया समझनी होगी | सब्सिडी का लाभ लेने के लिए. केवल आवेदनकर्ता को ही लाभ दिया जाता था. परंतु चुनाव के मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट लागू होने के बाद सरकारी योजना के लाभ के लिए पॉलीटिकल पार्टी को मिस्ड कॉल देना रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ पीपल एक्ट 1951 की धारा 123 में रिश्वत प् BRIBERY एवं UNDUE INFLUENCE  की श्रेणी में स्पष्ट रूप से आता है. C VIGIL एप  इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया ने इस प्रकार के सरोगेट एडवर्टाइजमेंट को रोकने के लिए बनाया था कि शिकायत करने पर के चीफ इलेक्टोरल  ऑफीसर संज्ञान ले परंतु राजस्थान के सीईओ ने शिकायत पर मेरिट पर निर्णय  नहीं करके इस प्रकरण को  इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया को भेज दिया. जो कि नियमों के विरुद्ध है.

 राजावत ने बताया  कि 2004 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के डायरेक्शंस पर जिला  एवं राज्य स्तरीय  मीडिया सर्टिफिकेशन और  मॉनिटर कमेटी का गठन किया गया जो की पॉलिटिकल विज्ञापनों को सर्टिफाई करते हैं किसी विज्ञापन पर आपत्ति का निवारण राज्य सीईओ  को द्वारा किया जाता है. राज्य सीईओ के  निर्णय के विरुद्ध  माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका  दायर की जा सकती है.

 RTI - ELECTION COMISSION RAJASTHAN

C VIGIL एप  में स्टेटस पर मालूम चला कि राजावत  द्वारा उठाई गई आपत्तियों. के संबंध में यह जवाब मिला कि यह विज्ञापन का अप्रूवल मिला हुआ है.  अप्रूवल की कॉपी लेने के लिए अधिवक्ता राजावत  द्वारा सूचना का अधिकार के तहत  आवेदन किया गया है जिसमें 24 घंटे के अंदर ही अप्रूवल की कॉपी उपलब्ध कराए जाने का निवेदन किया है.

 24 घंटे में लाइफ और लिबर्टी से संबंधित सूचना दिए जाने का प्रावधान राइट टू इनफार्मेशन एक्ट के अंदर है. यह सूचना किस प्रकार से लाइफ और लिबर्टी से संबंधित है इसके लिए सूर्य प्रताप सिंह राजावत द्वारा स्वहस्ताक्षरित घोषणा की गई है कि वर्तमान सरकार लॉ एंड  आर्डर में पूरी तरह फेल हुई है और उसका सबसे बड़ा उदाहरण है कन्हैया लाल की मर्म हत्या . जिसके कारण से राजस्थान राज्य में इन्वेस्टमेंट जीरो हो गया है. दूसरा सबसे बड़ा उदाहरण है कि सभी सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाओं का पेपर लीक के कारण युवा  द्वारा आत्महत्या करना.

इंतज़ार है  कि राजस्थान राज्य के निर्वाचन विभाग द्वारा मांगी गई सूचना 24 घंटे में उपलब्ध करा दी जाएगी. क्या चुनाव सम्बन्धी सूचना लाइफ और लिबर्टी से संबंधित नहीं है ?








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