मौन का शंखनाद
नरेन्द्र के माध्यम से दिया संदेश मौन का, स्वयं सच्चिदानंद ने।
नरेन्द्र के मौन की गूँज सुनी विश्व ने,
उस सर्वधर्म सभा में।
हुआ सारा संसार नतमस्तक मौन में।
अब तो है यह खुला रहस्य,
मौन से आए है,
मौन में जाना है।
बीच का सफर तो मौन का उतार चढ़ाव है।
मौन में होता दर्शन ‘‘सत्य’’ का
स्वामीजी ने दिया यही संदेश
सृष्टि का आधार मौन,
जगत की अभिव्यक्ति का सार मौन।
बुद्ध को देखो शरीर में उतारा मौन,
मौन में है विस्फोट,
जिसके आगे परमाणु की
गूँज भी है फीकी फीकी।
स्वामीजी ने बताया संसार को,
भारत है विश्वगुरू जिसका मौन है आधार,
भारत की प्रगति पर है, विश्व शांति का आधार।
स्वामीजी ने सनातन धर्म को समझाया,
मौन से शुरू किया मौन पर समापन किया।
सनातन धर्म में मौन है प्रथम शर्त,
क्योंकि यह मौन नहीं हैं निष्क्रिय,
यह मौन है अनंत संभावनाओं की पोटली।
स्वामीजी ने बताये, मौन के प्रकार,
सत, रज और तम्
कहते रूको नही इन तीन प्रकार पर,
करो गीता का पाठ,
जो कहती-होना है त्रिगुणातीत
मौन में भी जाना है त्रिगुणातीत
आज भी स्वामीजी के शब्द गूँज रहे दे रहे सब को प्ररेणा
उठो, जागो, तब तक विश्राम नही
जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो।
लक्ष्य है सबका अभ्युदय
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