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Showing posts from March, 2022

क्या कश्मीर को कभी न्याय मिलेगा ?

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  कश्मीर फाइल्स देश में ही नहीं वरन पूरे विश्व में इस फिल्म पर चर्चा हो रही है ​. ​  ​ इस फिल्म में चर्चा भारत के उस इतिहास के बारे में हो रही है जिसके बारे में जिसके बारे में आज की पीढ़ी ने न तो सुना ने लिखा न किसी ने उसको सही तरीके से बताएं ​. ​ यही कारण है कि आज का युवा और पढ़ा लिखा वर्ग इस फिल्म के बारे में चर्चा कर रहा है ​. ​ कुछ लोग इस फिल्म के बारे में चर्चा इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि उनका तर्क है कि इस फिल्म से राजनीति हो रही है ​. ​ इस फिल्म से किसी एक पार्टी को फायदा और दूसरी पार्टी को नुकसान हो रहा है ​. ​ इसलिए वह राजनीति में नहीं पड़ना चाहते और वह इस फिल्म के बारे में बात नहीं करना चाहते ​. ​ यह एक कन्वीनियंस का मार्ग ​​ जैसे उन्हें इस फिल्म में हुई घटना से कोई फर्क ही नहीं पड़ता क्योंकि यह घटना तो 30 वर्ष पहले घटी थी ​. ​ ​ जैसे ​ ​ इस घटना का आज के दौर में कोई अर्थ ही नहीं है ​.  ​ परंतु मैं इस फिल्म के बारे में बात करना चाहता हूं चर्चा करना चाहता हूं विश्लेषण करना चाहता हूं ​. ​ क्या यह सिर्फ एक राजनीति का मुद्दा है ​?​ क्या यह राष्ट्रीय मुद्दा नहीं...

Democracy without education is hypocrisy without limitation- CAD

CONSTITUENT ASSEMBLY OF INDIA DEBATES (PROCEEDINGS)- VOLUME VII Tuesday, the 9th November, 1948   Shri B. H. Khardekar "there are two important fronts in life, first there is the war front, and then there is the front of education. When we will have war, God alone knows;we may have a major war at any time and we must be prepared for that. There is some trouble in Kashmir; there was some in Hyderabad. We have got to be prepared. It must also be remembered that we are a very poor country and we must gather up all the resources   that we have, so that we can attend to first things first. In a country where democracy has to flourish, where democracy is in its infancy, the front of education is the most important one. You know the appalling condition of the people so far as education is the most   important one. You know the appalling condition of the people so far as education is   concerned. About sixty to seventy years ago, in several, countries free and com...

मौलिक विचारों की आवश्यकता-श्रीअरविन्द

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  मौलिक विचारों की आवश्यकता- श्रीअरविन्द    हमारी सबसे ज्यादा एवम् पीड़ादायक बेबसी यह है कि हाल   में युरोप द्वारा हमारे ऊपर   नई शर्तें और नया ज्ञान   थोपा जा रहा है । हमने इसे आत्मसात करने , हमने इसे नकारने , हमने इसे चुनने की कोशिश की परन्तु हम इसमें से किसी भी बात को सफलतापूर्वक नहीं कर पाये। इसे सफलतापूर्वक आत्मसात करने के लिए दक्षता की आवश्यकता है ; लेकिन हम यूरोपियन परिस्थिति और ज्ञान में कौशल हासिल नहीं कर पाये , और हम उनके द्वारा जब्त , अधीन और गुलाम बना लिए गए। किसी भी बात को सफलतापूर्वक अस्वीकार करना इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितनी समझदारी से यह समझ पाएँ कि हमें क्या अपनाना है। हमारी अस्वीकृति भी कुशलता पूर्वक होनी चाहिये ,   हमें कोई बात समझ कर अस्वीकार करनी चाहिए बजाय इसके कि  हम समझने में असमर्थ रहें।             लेकिन हमारा हिन्दु धर्म और हमारी पुरातन संस्कृति हमारी वह धरोहर जिसे हमने न्यूनतम बुद्धिमत्ता से सँजोया ; हमने जिंदगी भर वह सब कुछ बिना सोचे-समझे-विचारे किया ,...

Hijab row - Tip of iceberg

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 Surya Pratap Singh Rajawat, Advocate  Hijab row  - Tip of iceberg Hijab Controversy signifies lack of degree of constitution morality in India. It compels for introspection. When India is celebrating 75 years of independence such controversy raises many questions on the level of conscious of our society. As a matter of fact, invoking judgment of South Africa Courts by the counsel of the Petitioners   bears the seal of Intellectual bankruptcy when better intellectual discourses are available in Constituent Assembly Debates. It is worth mentioning that the petitioner's writ nowhere mention the aspiration of Constitution Assembly. The composition of Constitution Assembly and the arguments must be pleaded to defend the historical person of assassination of the religion, customs of foreign origin. Six philosophies in India bear testimony to tolerance, pluralism and diversity in term of culture, civilization, pluralism and heritage. Demand of Hijab by petitioners am...