Posts

Showing posts from August, 2020

नई शिक्षा नीति 2020 के बाद अब समय आ गया है इसको लागु करने का

Image
  नई शिक्षा नीति 2020  के बाद अब समय आ गया है इसको लागु करने का . आगामी चरण में मूर्त रूप देना आवश्यक है। नीति के उद्देश्य के अनुरूप ही  क्रियान्वन  हो एवं सभी की भागीदारी हो।  इसके लिए भारत सरकार ने अपनी वेबसाइट पर पूरी नीति को 11  भागों में बांटा  है।  A. EARLY CHILDHOOD CARE AND EDUCATION: THE FOUNDATION OF LEARNING /  प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल और शिक्षा : अधिगम की बुनियाद B. FOUNDATIONAL LITERACY AND NUMERACY: AN URGENT & NECESSARY PREREQUISITE TO LEARNING / बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान : अधिगम के लिए एक अत्यावश्यक और अनिवार्य पूर्वापेक्षा C. CURTAILING DROPOUT RATES AND ENSURING UNIVERSAL ACCESS TO EDUCATION AT ALL LEVELS / ड्रॉपआउट दर को कम करना और सभी स्तरों पर शिक्षा की सर्वसुलभ पहुँच सुनिश्चित करना D. CURRICULUM AND PEDAGOGY IN SCHOOLS: LEARNING SHOULD BE HOLISTIC, INTEGRATED, ENJOYABLE AND ENGAGING  स्कूलों में पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्र: अधिगम की प्रक्रिया सम्पूर्ण, एकीकृत, मनोरंजक और कारगर होनी चाहिए ...

क्रिमिनल लॉ सुधार समिति द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता के लिए प्रश्नावली 1

Image
क्रिमिनल लॉ सुधार समिति द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता  (CrPC) में सुधार के लिए प्रश्नावली वेबसाईट पर अपलोड की गई , जिसे सात भागों में बांटा है। गिरफ्तारी धारा 41 क में नोटिस की पालना में समयावधि को जोड़ना एवं पुलिस अधिकारी को समयावधि बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। क्या दण्ड प्रक्रिया संहिता में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख होना चाहिए कि गिरफ्तारी के समय पुलिस अधिकारी द्वारा व्यक्ति को फ्री लीगल एड , मेडिकल परीक्षण आदि के बारे में बताना अनिवार्य हो ? इसी प्रकार निःशक्तजन के गिरफ्तारी , तलाशी , जत्थी सम्बन्धित कार्यवाही को स्पष्ट रूप से प्रावधानों , इसी प्रकार गिरफ्तारी आदि करते समय किस प्रकार की सावधानी पुलिस को रखनी चाहिए इसका स्पष्ट उल्लेख हो ? इसी प्रकार धारा 41 ख ( ग ) के तहत गिरफ्तार व्यक्ति अपने रिश्तेदार या मित्र को अपनी गिरफ्तारी की सूचना देने के साथ वकील को भी अपनी गिरफ्तारी की सूचना दे सकें। साथ ही धारा 41 घ के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को...

Idea of "We, the people of India" in Bhawani Mandir and Discovery of India

Image
                                                                            Bharat Mata   SRI AUROBINDO Jawahar   LalNehru Consti tution of India •        from Bhawani Mandir   of Sri Aurobindo   •        ...... What is our mother-country? It is not a piece of earth, nor a figure of speech, nor a fiction of the mind. It is a mighty Shakti, composed of the Shaktis of all the millions of units that make up the nation, just as Bhawani Mahisha Mardini sprang into bei...

What is the significance of the name, “Arya”?- Sri Aurobindo

Image
ESSAYS IN PHILOSOPHY AND YOGA- Sri Aurobindo What is the significance of the name, “Arya”? The question has been put from more than one point of view. To most European readers the name figuring on our cover 1 is likely to be a hieroglyph which attracts or repels according to the temperament. Indians know the word, but it has lost for them the significance which it bore to their forefathers. Western Philology has converted it into a racial term, an unknown ethnological quantity on which different speculations fix different values. Now, even among the philologists, some are beginning to recognise that the word in its original use expressed not a difference of race, but a difference of culture. For in the Veda the Aryan peoples are those who had accepted a particular type of self-culture, of inward and outward practice, of ideality, of aspiration. The Aryan gods were the supraphysical powers who assisted the mortal in his struggle towards the nature of the godhead. All the highest a...

संविधान सभा का राजभाषा हिन्दी पर निर्णय

Image
  भारत में एक राष्ट्रभाषा का चिंतन सन् 1874 में आधुनिक भारत के सुधारक केशव चंद्र सेन की पत्रिका ‘‘ सुलभ समाचार ’’ में मिलता है। राष्ट्रभाषा के बारे में उपन्यास ‘‘ आनन्द मठ ’’ के लेखक बंकिम चंन्द्र द्वारा विस्तार से लिखा गया है। इसी क्रम में सन् 1906 में बंदेमातरम् पत्रिका में क्रांतिकारी श्रीअरविन्द के लेखो में आध्यात्मिक राष्ट्रवाद एवं विभन्न भाषा , जाती , पंथ के बावजूद भी राष्ट्रीयता की भावना कैसी बनी रहती है इसका वर्णन मिलता है। श्रीअरविन्द लिखते है कि राष्ट्र के लिए एक राजभाषा राष्ट्र के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हिंदी के उन्नति व प्रचार - प्रसारण के लिए नागरी प्रचारिणी सभा ( सन् 1893) और हिंदी साहित्य सम्मेलन ( सन् 1910) की अहम भूमिका रही। हिन्दी साहित्य सम्मेलन स्वतंत्रता आंदोलन के समान ही भाषा आंदोलन का साक्षी रहा है। पुरूषोत्तम दास टंडन को ‘ सम्मेलन के प्राण ’ के नाम से अभिहित किया। गांधी जी भी इस सम्मेलन से जुड़े और सन्...