मंथन

    








                               मंथन


तर्क का कत्ल

अपेक्षाओं की आत्महत्या

सत्य का गला घोटना

झूठ का आवरण

ईमानदारी के साथ धोखा

बेइमानी को गले लगाना

आदर्शो पर ग्रहण

पवित्रता की अनदेखी

भौतिक सुख को वरीयता

भावनाओं का यदा-कदा स्वागत

मानको में दोगलापन

आत्म संयम मौन को समझना कमजोरी

देखा देखी में त्याग का बहिष्कार

बलिदान एक अपवाद

नियम कानून की पालना केवल स्वार्थ सिद्धि के लिए

षडयंत्र से नहीं परहेज

झूठ और मिथ्या है आधार

ऐसी दशा और दिशा है कलयुग की।


इस कीचड़ में ही खिलाना है रिश्तों का कमल

परम्पराओं का घर, आदर्शों का समाज

और नये युग का शंखनाद।

                                                                                                                               

(सूर्य प्रताप सिंह राजावत)

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