Popular posts from this blog
Motto of Supreme Court of India -यतो धर्मस्ततो जयः
यतो धर्मस्ततो जयः यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय का नीति वाक्य है , जिसे महाभारत से लिया गया है। इसका अर्थ है जहां धर्म है वहां विजय है। भारतीय संस्कृति , दर्शन , इतिहास और शास्त्रों में धर्म शब्द का अर्थ और आशय पश्चिम की सेकुलर अवधारणा से पूर्णतः भिन्न है। धर्म शब्द को लेकर अक्सर वाद - विवाद बनाया जाता है। इसका कारण यह होता है कि धर्म शब्द की समझ एवं इसका सही अर्थ समझने में कमी रह गई। इस कारण भारतीय संस्कृति एवं शास्त्रों के भी दूरी बन जाती है। सम्राट अशोक के समय धर्म शब्द को यूनान में eusebeia शब्द से समझ कर इसका अर्थ समझा जो कि नैतिक आचरण तक सीमित था। इस कारण पश्चिम कभी भी भारत में प्रयुक्त शब्द धर्म को सही अर्थ में कभी भी नहीं समझ सका। आधुनिक काल में यही गलती जारी रही और आज धर्म शब्द के लिए पश्चिम में religion शब्द का प्रयोग किया है जो कि अपूर्ण है क्योंकि religion शब्द पंथ एवं सम्प्रदाय तक ही सीमित है। 2500 वर्षो...
भारत के मूल संविधान को नमन करते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी -
भारत के मूल संविधान को नमन करते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी - भारत के मूल संविधान को सुलेख करने का श्रेय वसंत कृष्ण वैद्य (हिन्दी की प्रति) और प्रेम बिहारी नारायण रायजादा (अंग्रेजी की प्रति) को जाता है। मूल संविधान को हस्तलिपिबद्ध करने पर मानदेय का प्रस्ताव पं. नेहरू ने दिया था। इस पर प्रेम बिहारी ने मानदेय लेने से इंकार तो किया पर यह शर्त रखी की मूल संविधान के सभी पृष्ठों पर उनका नाम अंकित होगा। अंतिम पेज पर उनका व उनके पिताजी का नाम लिखने की मंशा व्यक्त की] जिसे स्वीकार किया गया। भारत के मूल संविधान की उद्देशिका का कला कार्य ब्योहर राम मनोहर सिन्हा द्वारा किया गया। दीनानाथ भार्गव ने संविधान में भारत के सम्प्रतीत का चित्र बनाया है। संविधान में भारतीय सभ्यता का चित्रण का विचार प्रो. के.टी. शाह का था। जिसे संविधान के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने स्वीकार कर आचार्य नंदलाल बोस को भारतीय सभ्यता के चित्र बनाने की जिम्मेदारी दी। मूल संविधान में वैदिक काल के गुरूकुल का दृश्य रामायण से श्रीराम व माता सीता और लक्ष्मण के वनवास से घर वापस आने का ...

Comments
Post a Comment