"धर्म क्षत्रस्य क्षत्रं" धर्म ही राजाओं का राजा है का प्रतीक है धर्म दंड- राजदंड-सिंगोल
धर्म दंड- राजदंड-सेंगोल वर्तमान समय में चर्चा विरोध का उत्सुकता जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। राजदंड का समर्थन और विरोध भारत की सामाजिक धार्मिक राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना का आईना है। राजदंड भारतीय संस्कृति और इतिहास का विभिन्न रंग रहा है। राजदंड प्रतीक है कि राजा सबसे बड़ा नहीं है राजा सर्वेसर्वा नहीं है यही परंपरा भारत के रही है। संविधान बनाते समय ऑब्जेक्टिव रिजर्वेशन की चर्चा किस सन में संविधान सभा की कार्यवाही दिनांक 20 जनवरी 1947 में डॉ एस राधाकृष्णन बताते हैं कि जब भारत में दूसरे देश के लोग भारत में अध्ययन या व्यापार करने आते थे तो वह पूछते थे कि भारत का राजा कौन है तो उन्हें जवाब मिलता था "धर्म क्षत्रस्य क्षत्रं" धर्म ही राजाओं का राजा है। इसी परंपरा को स्वीकार करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय का नीति वाक्य रखा गया यतो धर्मः ततो जयः धर्म की राह पर आचरण करेगा जीत उसी की होगी अर्थात न्याय उसे ही मिलेगा। यह महाभारत में कुल ग्यारह बार आता है। प्रोफेसर पी वी काणे , भारत रत्न स...